अर्थव्यवस्था (MLM ki power) मोटिवेशनल कहानी इन हिंदी (कहानी लिखी हुई):
(MLM ki power)- आज दुनिया के बड़े बड़े देश अपनी अर्थव्यवस्था को बढ़ाने के लिए जद्दोजहद कर रहे हैं जिससे, कुछ हद तक तो उनके हालातों में सुधार हो रहा है लेकिन, ज़्यादा उपभोगवादी नीति के कारण, पृथ्वी का विनाश भी होता जा रहा है| इसी से प्रभावित होकर, यह कहानी लिखी गई है जो, आपकी अंतरराष्ट्रीय सोच का विस्तार करेगी| इन्द्रगढ़ नाम का एक बहुल आबादी देश है| जहाँ कई धर्मों के लोग रहते हैं| वर्षों की ग़ुलामी झेलने के बाद, आज यह देश अपने पैरों पर खड़ा है लेकिन, पर्यावरण के बिगड़ते हुए हालातों के कारण, यहाँ रहने वाले लोगों का जीवन, ख़तरे की ओर बढ़ रहा है| इन्द्रगढ़ के किसानों की हालत दिन प्रतिदिन बिगड़ती जा रही है जिसके कारण, बेरोज़गारी के स्तर में भी वृद्धि हुई है| धीरे धीरे इन्द्रगढ़ समस्या के दलदल में फँसता जा रहा था| वहीं दूसरी तरफ़ इन्द्रगढ़ के एक छोटे से शहर, विक्रमपुर में रहने वाला लड़का नरेंद्र, अपनी निजी ज़िंदगी में रोज़गार हासिल करने के लिए, संघर्ष कर रहा था| नरेंद्र ने जगह जगह जाकर सरकारी नौकरियों के लिए आवेदन दिया लेकिन, इतनी बड़ी जनसंख्या वाले देश में, सरकारी रोज़गार हासिल करना, रेत के ढेर में सुई ढूंढने के बराबर है| कई महीनों से रोज़गार न मिलने से, नरेन्द्र की आर्थिक परिस्थितियां बिगड़ती जा रही थी| नरेंद्र के पिता, गाँव में खेती करते थे उसी से, नरेंद्र के परिवार का गुज़ारा होता था| एक दिन नरेंद्र नौकरी की तलाश में भटकते हुए, बस स्टैंड के पास स्थित, एक रोज़गार सूचना केन्द्र में पहुँचता है| वह अख़बार में आगामी सरकारी नौकरियों की जानकारी देख रहा था अचानक, उसकी नज़र एक लड़के पर पड़ती है| वह लड़का सूट बूट में अपनी कार के पास खड़े होकर, फ़ोन पर बात कर रहा था|

नरेंद्र उसके पास जाकर उससे पूछता है कि, “आप क्या करते हैं?” वह व्यक्ति नरेंद्र की बात को अनसुना करके, कुछ देर तक मोबाइल में ही लगा रहता है जिससे, नरेंद्र वापस आने लगता है लेकिन, वह नरेंद्र को रुकने का इशारा करता है और थोड़ी ही देर में बताता है कि, वह मल्टीलेवल मार्केटिंग कंपनी में काम करता है जिससे, वह लाखों रुपया कमाता है| उसकी बात सुनते ही, नरेंद्र की आँखों में चमक आ जाती है| वह तुरंत पूछता है क्या, मैं भी यह काम कर सकता हूँ? तभी उस व्यक्ति ने नरेंद्र को MLM का बिज़नेस प्लान दिखाया| नरेंद्र यह सब देखकर सोचने लगा कि, “बेरोज़गारी के इस दौर में भी, ऐसी इंडस्ट्री जहाँ लोग लाखों कमा रहे हैं फिर भी, यह लोगों की नज़रों से दूर कैसे है?” नरेंद्र ने तुरंत उस व्यक्ति के साथ, अपना काम शुरू कर दिया और कुछ ही दिनों में, नरेंद्र को अच्छा मुनाफ़ा होने लगा| धीरे धीरे नरेंद्र MLM में पूरी तरह डूब गया| बड़ी बड़ी मीटिंग, सैमीनार ही उसकी ज़िंदगी का हिस्सा बन चुके थे| एक साल के अंदर ही, नरेंद्र ने इस व्यापार से अच्छा पैसा इकट्ठा कर लिया| नरेंद्र की कामयाबी से उसके माता पिता और रिश्तेदार भी अचंभित थे| सभी को लगने लगा था कि, अब नरेंद्र क़ामयाब इंसान बन चुका है लेकिन, एक दिन एक फ़ोन कॉल से, उसे पता चलता है कि, कंपनी बंद हो चुकी है तो, उसकी दुनिया हिल जाती है और जिन लोगों ने भी, इस कंपनी में निवेश किया था, वह दर बदर भटक कर, अपने नुक़सान का रोना रो रहे थे लेकिन, नरेंद्र एक लीटर था इसलिए, वह बिना डरे तुरंत अपने टीम के सदस्यों के पास पहुँचता है जहाँ, उसे कंपनी के घपले की पूरी जानकारी मिलती है| नरेंद्र एक ईमानदार लड़का था| वह अपने साथ कुछ सदस्यों को लेकर, पुलिस थाने पहुँचता है जहाँ, वह MLM के फर्जीवाड़े की जानकारी देता है| पुलिस के पास आए दिन ऐसे मामले आते रहते हैं इसलिए, पुलिस भी इन्हें गंभीरता से नहीं लेती है| इस घटना का सबसे ज़्यादा असर नरेंद्र पर ही हुआ था क्योंकि, नरेंद्र ने मेहनत करके जितना भी पैसा कमाया था उसने, अपने साथ के लोगों को, उनके नुक़सान की भरपाई के लिए दे दिया| नरेंद्र अब उसी जगह पर आकर खड़ा था जहाँ से, उसने शुरुआत की थी| जब उसे कुछ समझ में नहीं आता तो, वह अपने गाँव वापस आकर, अपने पिता के साथ खेती के काम में ही लग जाता है| एक दिन नरेंद्र अपने पिता से पूछता है कि, “आप हमेशा अपने खेत में ऐसी फ़सल क्यों लगाते हो जिसमें, हर बार मेहनत करनी पड़े| क्या, हम फलों की खेती नहीं कर सकते जहाँ, हमें हर साल मुनाफ़ा होता रहे? तभी नरेंद्र के पिता उससे कहते हैं, “बेटा फलों के वृक्षों को बढ़ने में समय लगता है और तब तक हम अपना ख़र्चा कैसे चलाएंगे?” अपने पिता की बात सुनते ही, नरेंद्र का मुँह बंद हो जाता है| वह सोचने लगता है कि, “कैसे किसानों को हर महीने पैसे दिए जाएं ताकि, ज़्यादा से ज़्यादा महंगे फलों की खेती की जा सके और सीमित ज़मीन में अधिक मुनाफ़ा कमाया जा सके जिससे, किसानों का जीवन स्तर बेहतर किया जाए|” तभी उसे नेटवर्क मार्केटिंग कंपनी की याद आती है जहाँ, उसे पहली बार नेटवर्किंग की ताक़त का एहसास हुआ था| वह कुछ पुराने लीडर्स से मिलकर, एक NGO प्रारंभ करता है और अपनी योजना के अनुसार, किसानों को जागरूकता के तहत, अपने साथ जोड़ने के लिए निकल पड़ता है|

धीरे धीरे नरेंद्र ने बहुत से किसानों को, अस्थायी अनुबंध के तहत, फलों की खेती करने को राज़ी कर लिया| इस अनुबंध के अनुसार “किसानों को, हर छः महीने में एक निश्चित अनुपात में राशि दी जाएगी और यह राशि, उनके पिछले वर्षों की खेती के अनुरूप ही होगी लेकिन, जैसे ही उनके खेत से फलों की बिक्री शुरू होगी वहाँ से, उनकी आय में वृद्धि शुरू होने लगेगी| बिक्री किए गए फल का लाभ 50% किसानों को दिया जाएगा और बचे हुए 50% को, खेती करने में उपयोग हुए संसाधनों के लिए व्यय किया जाएगा” लेकिन, शुरुआती तौर पर, फलों की खेती करने के लिए, बहुत से पैसों की आवश्यकता थी| जिसके लिए MLM ने एक महत्वपूर्ण रोल अदा किया| नरेंद्र ने एक बेहतरीन करियर प्लान बनाया जिससे, बहुत से युवाओं को कुछ पैसे देकर MLM कंपनी में सदस्यता मिलने लगी| सदस्यों को शुरुआती तौर पर लाभान्वित करने के लिए, उन्हें कमीशन की प्रक्रिया के तहत जोड़ा गया था| जहाँ नए लोगों को सदस्य बनाने पर, कुछ प्रतिशत लाभ, उस सदस्य को दिया जाता था जिसके माध्यम से, नया सदस्य संस्था में जुड़ रहा है| देखते ही देखते बड़ी संख्या में लोग, नरेंद्र की कंपनी में जुड़ते जा रहे थे| नरेंद्र की योजना को प्रशासन का सीधा समर्थन मिलने लगा क्योंकि, नरेंद्र की संस्था का उद्देश्य लाभ कमाना नहीं बल्कि, पर्यावरण के साथ साथ किसानों का जीवन स्तर बढ़ाना भी था| कुछ ही वक़्त में नरेंद्र के पास पैसों का भंडार लग गया| नरेंद्र ने बड़ी संख्या में लोगों को रोज़गार दिया| जहाँ खेती करने वाले मज़दूर से लेकर, रिसर्च करने वाले वैज्ञानिक तक, नरेंद्र की संस्था से जुड़कर लाभान्वित हो रहे थे| कुछ सालों में नरेंद्र की मेहनत ने असर दिखाना शुरू किया| जिस राज्य में, नरेंद्र की संस्था कार्य कर रही थी वहाँ, पर्यावरण की शुद्धता का स्तर निरंतर बढ़ता जा रहा था और तो और, विक्रमपुर के किसानों की आमदनी भी, सभी राज्यों के मुक़ाबले अधिक हो चुकी थी| धीरे धीरे नरेंद्र की कंपनी ने एक विशाल रूप धारण कर लिया और इन्द्रगढ़ की अर्थव्यवस्था में बड़ी भूमिका निभाने लगी| नरेंद्र ने महंगे से महंगे फलों का उत्पादन करके, विदेशी बाज़ारों में दब दबा बना लिया|

जिससे विक्रमपुर राज्य, किसानों की आर्थिक स्थिति सुधारने वाला, सबसे बड़ा राज्य बन गया| बड़े बड़े राजनीतिक शास्त्री, नरेंद्र के पास अर्थव्यवस्था को बढ़ाने की नीति सीखने पहुँचने लगे| दरअसल नरेंद्र ने नेटवर्क मार्केटिंग को, खेती के साथ मिलाकर, रोज़गार पैदा करने वाली, ऐसी नीति का निर्माण किया जिससे, अर्थव्यवस्था का पहिया तेज़ी से दौड़ने लगा| आज नरेंद्र धीरे धीरे इन्द्रगढ़ के बाक़ी राज्यों में भी, अपनी शाखाएं बनाता जा रहा है और कई राज्यों के किसान नरेंद्र के आने का इंतज़ार कर रहे हैं| इसी के साथ यह कहानी ख़त्म हो जाती है|