सफर (Safar) Hindi Motivation Story:
सफर ( safar ) कहानी है एक परिवार की है। जिनका एक सफर इम्तिहान की रात सबित हुआ। एक बहुत ही प्यारा परिवार था। जिसमें पति, पत्नी और उनका बेटा है, जिसका नाम प्रिंस है। प्रिंस केवल सात साल का है और प्रिंस के पापा बैंक में क्लर्क हैं, जो अपने बेटे से बेहद प्यार करते हैं। एक दिन प्रिंस अपनी माँ से ज़िद करने लगता है। “माँ कहीं घूमने चलना है” माँ कहती है बेटा तुम्हारे पापा को टाइम नहीं मिलता और मैं अकेले तुम्हें कहाँ ले जाऊँ। प्रिंस नाराज़ होकर बैठ जाता है। शाम होते ही प्रिंस के पापा जब घर आते हैं, तो अपने बेटे को नाराज़ देख, कहते हैं “बेटा क्या हुआ, आज मेरा हीरो उदास लग रहा है” तभी प्रिंस की माँ आकार सारी बात बताती है। प्रिंस के पापा हँसते हुए कहते हैं “अरे बस इतनी सी बात, हम जल्द ही कहीं बाहर घूमने जाएंगे।
मैं कल ही अपने ऑफ़िस में छुट्टी के लिए बात करता हूँ”। प्रिंस, अपने पापा की बात सुनकर ख़ुश हो जाता है और सभी साथ में प्यार से खाना खाते हैं। अगले ही दिन प्रिंस के पापा, जैसे ऑफ़िस पहुँचते हैं, तो उन्हें पता चलता है। उन्हें अगले ही दिन एक हफ़्ते के लिए दूसरे शहर जाना है। तभी वह सोचते हैं, चलो अच्छा हुआ इसी बहाने, मैं अपने परिवार को कहीं बाहर घूमा तो लाऊँगा और ख़ुशी ख़ुशी बाहर जाने के लिए राज़ी हो जाते हैं और वह घर पहुँचते ही अपनी पत्नी से कहते हैं, “जल्दी से तैयार हो जाओ, हमें आज शाम को ही निकलना होगा”। तभी अचानक बादल गरजने लगते हैं और धीरे धीरे बारिश होने लगती है। प्रिंस के पापा अपनी कार निकालते हैं और अपनी पत्नी को अंदर से आवाज़ देते हैं “अरे जल्दी करो, कहीं बारिश तेज़ ना हो जाए। हमें जल्द ही दूसरे शहर पहुँचना होगा”। माँ अपने बेटे को लेकर थोड़े से सामान के साथ कार में आकर बैठ जाती है और पूरा परिवार एक साथ दूसरे शहर के लिए निकल जाते हैं। प्रिंस अपने पापा को धन्यवाद देता है और कहता है, “पापा हम वहाँ जाकर बहुत मस्ती करेंगे” पापा मुस्कुराते हुए हामी भरते हैं। अचानक बारिश तेज़ होने लगती है और बारिश की वजह से कार के सामने के कांच से कुछ नज़र नहीं आ रहा था। प्रिंस के पापा अपनी कार की गति और धीमी कर लेते हैं और धीरे धीरे आगे बढ़ते रहते हैं। प्रिंस बारिश को देखकर घबराने लगता है और अपनी माँ की गोद में सर रखकर लेट जाता है। प्रिंस के पापा सोचते हैं, अगर गाड़ी इतनी धीरे धीरे चलाता रहूँगा, तो पूरी रात सफर में ही गुज़र जाएगी और वह अपनी गाड़ी की गति तेज करते हैं। लेकिन वह केवल अंदाज़े से गाड़ी चला रहे होते हैं, क्योंकि बारिश की बूंदों की वजह से आगे कुछ नज़र नहीं आ रहा होता है। तभी वह अपनी गाड़ी का संतुलन खो देते हैं और उनकी गाड़ी नदी के ऊपर बने पुल पर जाकर लटक जाती है।
माँ और बेटे पिछली सीट से आगे की सीट में खिसक कर आ जाते हैं। नदी मैं पानी का स्तर बहुत तेज़ी से बढ़ रहा होता है। तीनों बहुत डरे हुए होते हैं और उनके पापा अपने बेटे और पत्नी को संभाल रहे होते हैं। प्रिंस के पापा कहते हैं, “बेटा बिलकुल मत हिलना, शांति से गाड़ी में बैठे रहना, बारिश बहुत तेज़ है। मैं यहाँ से बाहर निकलने का कुछ इंतज़ाम करता हूँ” तभी प्रिंस के पापा खिड़की से बाहर देखते हैं। नदी की धारा गाड़ी के टायर तक पहुँच जाती है। वह इतनी तेज धार देखकर घबरा जाते हैं। उन्हें अब यक़ीन हो जाता है, कि शायद वह अपने परिवार को नहीं बचा पाएँगे। सुनसान रात में, अकेली गाड़ी, पुल के ऊपर फँसी होती है और पूरा परिवार बेबसी के हालात में बैठा होता है। तभी उन्हें एक विचार आता है क्यों न किसी सहारे से इस गाड़ी से बाहर निकला जाए वरना कार के साथ हम तीनों भी नदी में बह जाएंगे। वह जल्दी से अपनी पत्नी से बैग में रखी हुई, एक साड़ी निकालने को कहते हैं और उसमें गठान लगाकर ज़ोर से नदी के पुल में बने पिलर पर फेंकते हैं और कई प्रयासों के बाद साड़ी की गाँठ नदी के पुल के पिलर पर फँस जाती है और सबसे पहले वह अपनी पत्नी को साड़ी के सहारे बाहर निकालने का प्रयास करते हैं। मंजर बहुत ख़तरनाक था। नीचे पानी की ज़ोरदार लहर और उसके ऊपर से लटककर नदी के पुल के ऊपर तक पहुँचना किसी चुनौती से कम नहीं था। लेकिन प्रिंस की माँ, हिम्मत दिखाते हुए गाड़ी के पिछले दरवाज़े को धीरे से खोलकर साड़ी की मदद से ऊपर चढ़ने लगती है और बहुत संघर्ष के बाद वह ऊँचाई तक पहुँच जाती है। प्रिंस के पापा यह देखकर ख़ुश हो जाते हैं और अपने बच्चे को लटकी हुई साड़ी के छोर में बाँध देते हैं और अपनी पत्नी से उसे ऊपर खींचने को कहते हैं और वह बड़ी आसानी से अपने बच्चे को ऊपर खींच लेती है। बच्चे के निकलते ही गाड़ी खिसक कर और नीचे आ जाती है। तभी प्रिंस की माँ ज़ोर से चिल्लाती है कि “आप जल्दी से बाहर आइये” और अचानक कार पानी में समा जाती है।
माँ और बेटा दोनों ज़ोर ज़ोर से रोने लगते हैं। इतनी अँधेरी रात में बारिश में भीगते हुए दोनों पुल के ऊपर बैठ जाते हैं। प्रिंस की माँ अपने बच्चे को संभालती है। उसे लगता है। सब कुछ ख़त्म हो गया। अब उसे ही अपने बच्चे को यहाँ से बाहर ले जाना होगा और वह हिम्मत बढ़ाकर बच्चे को लेके वहाँ से चलने लगती है। तभी पीछे से आवाज़ आती है, “प्रिंस” और जैसे ही माँ बेटे पलटकर देखते हैं, तो प्रिंस के पापा साड़ी के छोर को पकड़े हुए ऊपर आ रहे होते हैं। दरअसल कार के नदी में गिरते वक़्त इन्होंने साड़ी का छोर पकड़ रखा था। उस वजह से यह कार के साथ नीचे नहीं गिरे। उनकी पत्नी जल्दी से आकर उन्हें सहारा देती है और ऊपर खींच लेती है। पुल के ऊपर आते ही प्रिंस के पापा उसे गोद में उठा लेते हैं। प्रिंस भी अपने पापा से लिपटकर रोते हुए कहता है। पापा मुझे कहीं घूमने नहीं जाना, बस आप मुझसे दूर कभी मत होना और पापा मुस्कुराते हुए अपने बच्चे और पत्नी को गले लगा लेते हैं और तीनों पुल से दूर आकर एक पेड़ के नीचे बैठकर सुबह होने का इंतज़ार करते हैं। सुबह होते ही हादसे का सभी को पता चलता है और पूरे परिवार को घर भेजने की व्यवस्था की जाती है और एक संघर्षमय कहानी का अंत हो जाता है।