एक महिला (Hindi Story Motivation):
Hindi Story Motivation – जंगल के किनारे एक छोटा सा गाँव था। वहाँ एक महिला ( A Woman’s Story ) अपने पांच साल के बच्चे के साथ रहती थी। पति के देहांत के बाद इसने अकेले ही बच्चे को पाल पोस कर बड़ा किया। गाँव के सभी लोग इस महिला की बहुत इज़्ज़त करते थे। महिला छोटे मोटे काम करके अपना और अपने बच्चे का जीवन यापन करती थी। गाँव में पुरानी प्रथा प्रचलित थी। जिसमें सुहागन महिलाओं के द्वारा जंगल में जाकर कुल देवी पूजन किया जाता है। पूजन में लगभग सभी गाँव वाले उपस्थित होते हैं। देवी पूजन के लिए गाँव के सभी लोग उत्साहित थे। लेकिन वह महिला दुखी थी क्योंकि उसे पूजा में शामिल होने का अधिकार नहीं था, क्योंकि वहाँ केवल सुहागन औरतें ही उपस्थित हो सकती हैं।
शाम होते ही सभी अपने अपने घर में ताला लगाकर जंगल के लिए निकलने लगते हैं। गाँव में उस महिला और उसके बच्चे के अलावा कोई नहीं होता। सभी अपने परिवार के साथ कुल देवी पूजा में चले जाते हैं। आधी रात को नींद से महिला की आंखें खुलती हैं। उसे कुछ आहट सुनाई देती है। महिला जैसे ही अपने घर के दरवाज़े के पास आती है। उसे जानवरों की आवाजें सुनाई देती है। महिला भय से भर जाती है। लेकिन फिर भी हिम्मत करते हुए, अपने घर के खिड़की से देखती है और उसका डर यक़ीन में बदल जाता है। महिला के घर के बाहर बहुत से ख़ूँख़ार भेड़िए दिखाई देते हैं, जोकि शिकार की तलाश में घर के चारों तरफ़ घूम रहे हैं।
महिला का बच्चा घर में सो रहा होता है। वह अपने बच्चे के लिए डर जाती है। तभी महिला शांति से खिड़की से देखती है और कुछ ही देर में भेड़िए एक एक करके वहाँ से हट जाते हैं। महिला हिम्मत जुटाकर धीरे से दरवाज़ा खोलकर देखती है, तो वहाँ से सारे भेड़िए जा चुके होते हैं। महिला को लगता है, ख़तरा टल गया और वह दरवाज़ा बंद करके अपने बच्चे के कमरे में वापस आने लगती है। तभी उसकी नज़र घर की छत पर पड़ती है। वहाँ से एक भेड़िया, लाल आंखें किए हुए घर की छत से अंदर घुसने का प्रयास कर रहा होता है। तभी महिला लकड़ी का बैलन उठाकर भेड़िया की तरफ़ फेकती है। भेड़िया बेलन से बचने के लिए अपना मुँह वापस बाहर निकाल लेता है। महिला सोते हुए बच्चे को उठाकर दूसरे कमरे में आती है। उसके निकलते ही भेड़िया छत से कमरे के अंदर आ जाता है। महिला जल्दी से वह दरवाज़ा बंद कर देती है, जिस कमरे में भेड़िया आ चुका था और देखते ही देखते कई सारे भेड़िए उस कमरे में घुस आते हैं। महिला बहुत ज़ोर ज़ोर से आवाज़ लगाती है। “बचाव, कोई तो हमारी मदद करो” |
लेकिन गाँव से सभी लोग दूर होते हैं, जो महिला की आवाज़ नहीं सुन सकते। महिला बेबस होकर अपने बच्चे को गोद में लिए रोने लगती है। महिला को समझ में नहीं आ रहा था कि वह बच्चे को लेकर घर में रहें या बाहर जाए मौत तो दोनों ही तरफ़ उसका इंतज़ार कर रही थी। तभी महिला ने एक कपड़े को आग लगाकर खिड़की से उसी कमरे में फेंक दिया। जिसमें भेड़िए मौजूद थे। आग देखते ही भेड़िये, घर की छत से निकल कर, यहाँ वहाँ भागने लगे। तभी अचानक बच्चे की नींद खुल जाती है। वह अपनी माँ को परेशान देखता है, तो उठकर बैठ जाता है। माँ अपने बच्चे को डराना नहीं चाहती इसलिए वह भेड़िये वाली बात छुपा लेती है और अपने बेटे को अपने सीने से लगाकर सुला लेती है। महिला रात भर ऐसे ही बैठी रहती है। सुबह जैसे ही गाँव वाले पूजा समाप्त करके आते हैं, तो उन्हें गाँव की हालत देखकर समझ में आ जाता है, कि यहाँ ज़रूर जानवर आए थे। जिन्होने सभी के घरों का बुरा हाल किया है । गाँव वालों की आवाज़ सुनकर महिला घर से बाहर निकल आती है और ज़ोर ज़ोर से रोने लगती है। गाँव के लोगों को सारी बात पता चलती है। सभी महिला को उसकी बहादुरी के लिए प्रोत्साहित करते हैं। माँ ने अपनी बहादुरी से अपने बच्चे के जीवन को बचा लिया था। यही एक संघर्ष वाला लम्हा था, जिससे ममता का मोल पता चलता है।