मोटिवेशनल गुरु (Motivational Guru)- शिक्षकों के लिए प्रेरणादायक कहानी (4 बच्चों की कहानियां):
4 बच्चों की कहानियां– प्रेरणा को इंग्लिश में मोटिवेशन कहते हैं| आज हमारा सबसे बड़ा सवाल है, क्या है वास्तविक मोटिवेशन? क्योंकि आम तौर पर देखा गया है कि, क़ामयाब व्यक्तियों को लगातार मोटिवेशन की आवश्यकता नहीं होती| वही असफलताओं से घिरे हुए व्यक्ति, मोटिवेशनल गुरु (Motivational Guru) की तलाश में रहते हैं| इस गुत्थी को सुलझाने के लिए, आइए चलते हैं एक ज़बरदस्त कहानी की ओर, मुझे पूरी आशा है कि, मोटिवेशन की सच्चाई को समझने हेतु यह कहानी आपका मार्गदर्शन करेगी| ये कहानी एक सोशल मीडिया मोटिवेशनल गुरु विजय सिंह की है| जिन्होंने युवाओं के बीच एक क्रांति ला दी| बात उन दिनों की है जब, कोरोना वायरस नाम की समस्या ने इंसानों का जीवन दूभर कर दिया था| लोग मजबूर थे, अपने घरों में क़ैद होने के लिए और इसी बीच, सोशल मीडिया में उभरा एक ऐसा शिक्षक जिसने, युवाओं को प्रोत्साहित करके रास्ता दिखाया| विजय सिंह ने कोरोना काल में, अपने घर से ही मोटिवेशनल वीडियो बनाने शुरू किए| पढ़ने लिखने वाले ज़्यादातर युवाओं को प्रेरणात्मक जानकारियां पसंद आती है इसलिए, धीरे धीरे विजय के वीडियो वायरल होने लगे| कुछ ही महीनों के अंदर विजय सिंह व्यापारिक शिक्षा देने वाले, जाने माने सोशल मीडिया मोटिवेशनल गुरु बन चुके थे|
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जब विजय से ज़्यादा लोग जुड़ने लगे तो, उन्होंने एक संस्था का निर्माण किया जहाँ, बच्चों को आधुनिक व्यापार से संबंधित ज्ञान दिया जा सके| एक दिन विजय सिंह ने अपने संस्थान में ओपन सैमीनार किया जिसके लिए, पूरे देश से युवा इकट्ठे हुए| इन्हीं युवाओं के बीच चार लड़के ऐसे भी थे जिन्होंने, प्रोत्साहित होकर बड़े बड़े गुनाहों को अंजाम दे दिया| जिसका खामियाजा विजय सिंह को भुगतना पड़ा| दरअसल, उन चार युवाओं में एक लड़का, प्यार में अपना दिल टूटने की वजह से इंतकाम लेना चाहता था| दूसरा लड़का, एक कार ड्राइवर था जिसे, अपनी माँ के इलाज के लिए बहुत से पैसों की आवश्यकता थी और वह पैसों का इंतज़ाम नहीं कर पा रहा था| तीसरा लड़का, तैराकी सीखना चाहता था लेकिन, उसे पानी में जाने से डर लगता था इसीलिए, वह मोटीवेट होने आया था और चौथा लड़का, बहकावे में आकर आतंकवादी बनना चाहता था| सेमिनार के दौरान विजय ने मोटिवेशन की आग लगा दी|
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उसने अपने व्याख्यान में कहा कि, “यदि तुम लोग क़ामयाब होना चाहते हो तो, अपनी मंज़िल की तरफ़ आगे बढ़ जाओ, रास्ता ख़ुद व ख़ुद मिल जाएगा| बस फिर क्या था, उन चार युवाओं ने, विजय सिंह से प्रोत्साहित होकर, अपने अपने स्तर पर अपना लक्ष्य प्राप्त करने के लिए, आगे बढ़ गए| जिसके परिणाम स्वरूप, पहले लड़के ने प्यार के धोखे का बदला लेने के लिए, अपनी प्रेमिका के नए प्रेमी पर जानलेवा हमला किया जिससे, उसे गंभीर चोटें आयी और उसे दर्दनाक हालत में, अस्पताल में भर्ती करवाना पड़ा हालाँकि, वारदात के कुछ देर बाद लड़के को गिरफ़्तार कर लिया गया| दूसरा लड़का अपने मालिक के घर से गहने चोरी करके, अपनी माँ का इलाज करवाने पहुँचा है लेकिन, उसे भी सूचना मिलते ही अस्पताल से गिरफ़्तार कर लिया गया| तीसरा लड़का तैराकी सीखने के लिए, बिना किसी मदद के अकेले ही नदी में कूद गया और पानी में डूबने उसकी जान चली गई और चौथा लड़का, जिसके इरादे ख़ौफ़नाक थे| उसने एक इलाक़े में जाकर, गैस सिलेंडर से धमाका करना चाहा लेकिन, वहाँ मौजूद भीड़ की सूझ-बूझ से उसे क़ाबू में कर लिया गया|
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लेकिन कहानी में मोड़ तब आया, जब चारों युवकों के अपराधों के तार, विजय सिंह के मोटिवेशनल प्रोग्राम से जुड़े नज़र आ रहे थे| पुलिस ने तहक़ीक़ात के दौरान, विजय सिंह को गिरफ़्तार कर लिया| वह एक बहुत बड़ी शख़्सियत थी इसलिए, उनके बचाव में वकीलों की फ़ौज खड़ी हो गई| मामला गंभीर था| विजय सिंह पर चार संगीन अपराधों को करवाने का आरोप था| मामला कोर्ट तक पहुँचा| जैसे ही न्यायाधीश को, सरकारी वक़ील के माध्यम से पता चला कि, “आरोपी ने अनजाने में अपराधियों को प्रोत्साहित करके, गुनाह करने को उकसाया है|” उन्हें आश्चर्य हुआ क्योंकि, अदालत में यह पहला मामला था जिसमें, किसी शिक्षक पर इस तरीक़े के संजीदा आरोप लगे थे लेकिन, तभी विजय सिंह के वक़ील ने बचाव में दलील देते हुए कहा, “किसी को प्रोत्साहित करना तो, मोटिवेशनल गुरुओं का काम है| वह भला कैसे जान सकते हैं कि, उनके बीच मौजूद जनता, किन इरादों से प्रोत्साहित होने आयी है|” सरकारी वक़ील ने अपना पक्ष रखते हुए कहा कि, “विवादित बयान देने वाले नेताओं के उकसाने पर, जब भीड़ आक्रामक होती है तो, उस नेता पर ही दंगे करवाने का आरोप आता है| तो फिर, इन अपराधों के लिए विजय सिंह को क्यों ना सजा दी जाए| सरकारी वक़ील के इतना कहते ही, विजय सिंह का वक़ील अपनी बगलें झांकने लगता है| न्यायाधीश ने इस पूरे मामले को गंभीरता से समझने के बाद, अपना फ़ैसला सुनाते हुए कहा कि, “हर व्यक्ति का इरादा अलग होता है और किसी का इरादा जाने बिना, उसे प्रोत्साहित करना मूर्खता है| मोटिवेशनल गुरुओं का काम, केवल प्रोत्साहित करना ही नहीं बल्कि, युवाओं के मन की बात सुनते हुए, उन्हें रास्ता दिखाना है हालाँकि, यह अपराध अनजाने में घटित हुआ है जिसमें, विजय सिंह का कोई व्यक्तिगत इरादा नहीं था| इसलिए, अदालत विजय सिंह को हिदायत के साथ बरी करती है|
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मामले से बाहर आते ही, विजयसिंह अपने संस्थान का पूरा संस्करण ही बदल देता है| जिसके अनुसार, वह पहले हर लड़के की मनोवैज्ञानिक तौर पर, काउंसलिंग करता और उसके बाद, उसे लक्ष्य की ओर बढ़ने को कहता| धीरे धीरे विजयसिंह, लोगों का चहेता मोटिवेशनल गुरु बन गया| अब वह समझने लगा था कि, असली प्रोत्साहन का मतलब, सार्थक उद्देश्य की ओर दिशा देना होता है और इसी के साथ कहानी ख़त्म हो जाती है|