नशा मुक्ति केन्द्र (nasha mukti kendra)- जबरदस्त मोटिवेशनल कहानी (नशा मुक्ति पर कहानी):
नशा मुक्ति पर कहानी- आज हमारे बीच मौजूद युवा पीढ़ी, नशे की चपेट में अपना जीवन बर्बाद करने पर मजबूर है| क्या कारण है कि, एक बार नशे की गिरफ्त में आने के बाद, इससे बाहर आना मुश्किल होता है| नशा मुक्ति केन्द्र (nasha mukti kendra) एक ऐसी जबरदस्त मोटिवेशनल कहानी है जो, युवाओं का मार्गदर्शन करेगी| एक छोटा सा शहर था जहाँ, गौतम नाम का लड़का अपने माता पिता के साथ रहता था| गौतम के पिता बैंक मैनेजर थे लेकिन, गौतम बेरोज़गार था| दरअसल, गौतम को कॉलेज के दिनों से ही, नशे की लत लग चुकी थी जिसने, गौतम का जीवन बर्बाद कर दिया था| गौतम सारा दिन, नशे में ही रहता था| उसकी हरकतों से उसके परिवार के साथ साथ, सारा मोहल्ला परेशान था| कई बार गौतम नशे में सड़क पर, हंगामा मचाने लगता जिससे, उसके पिता को ज़लील होना पड़ता| गौतम के पिता ने, अपने बेटे का नशा छुड़ाने के लिए, कई डॉक्टरों का दरवाज़ा खटखटाया लेकिन, उन्हें हर जगह निराशा ही हाथ लगी| आखिरकार गौतम की हरकतों से परेशान होकर, उसके पिता ने उसे नशा मुक्ति केंद्र भेज दिया|
वहाँ पहुँचते ही गौतम गिड़गिड़ाने लगा लेकिन, उसके पिता ने उसे ज़बरदस्ती केंद्र में भर्ती कर दिया| परिणामस्वरूप, कुछ ही महीनों में गौतम बिलकुल बदल गया और उसके बदले हुए रूप को देखकर, गौतम के पिता को लगने लगा कि, शायद उनका बेटा सुधर चुका है इसलिए, उन्होंने गौतम को नशा मुक्ति केन्द्र से वापस निकाल लिया लेकिन, बाहर आते ही गौतम फिर से अपने पुराने रवैये में वापस आ गया| और तो और, इस बार वह दुगुनी गति से नशा करने लगा| गौतम के पिता उसकी बिगड़ती हुई हालत देखकर घबरा गए| उन्हें समझ में ही नहीं आ रहा था कि, वह अपने बेटे को इस दलदल से बाहर कैसे लाएँ क्योंकि, वह जब भी अपने बेटे को सुधारने की कोशिश करते, परिणाम उसके विपरीत ही मिलता| हारकर उन्होंने दोबारा, अपने बेटे को नशा मुक्ति केंद्र भेज दिया लेकिन, उन्हें एहसास हो चुका था कि, वहाँ से बाहर आने के बाद, उनका बेटा फिर से नशा करने लगेगा|
उन्होंने अपनी पत्नी से कहा कि, हमें यह जगह बदल देनी चाहिए शायद, इससे हमारे बेटे की बुरी संगत छूट जाए और फिर वह सुधर सके| गौतम की माँ भी, अपने बेटे को क़ैद में भेजकर दुखी थी इसलिए, उन्होंने अपने पति की बात मान ली और घर बेचने को राज़ी हो गई| उन्होंने एक मकान के सौदागर को, अपने घर के बारे में जानकारी दी| गौतम का घर एक अच्छे इलाक़े में था इसलिए, बहुत जल्दी घर के खरीददार पहुँच गए|
घर ख़रीदने आए व्यक्ति ने, गौतम के पिता से घर बेचने की वजह पूछी तो, उसे गौतम के बारे में पता चला और कारण सुनते ही, वह हँसने लगा| उसे हँसता देख, गौतम के पिता नाराज़ होते हुए कहते हैं, “आप इतने बुजुर्ग हैं| किसी की तक़लीफ़ का मज़ाक उड़ाना, आपको शोभा नहीं” देता लेकिन, उन्होंने गौतम के पिता से कहा, “मैं तुम्हारा मज़ाक नहीं उड़ा रहा बल्कि, मुझे अपने अतीत को याद करके, हँसी आ गई| दरअसल, मैं भी बचपन में नशे का शिकार था लेकिन, कुछ जानकारियों ने मेरा जीवन बदल दिया| यह बात सुनते ही, गौतम के पिता की जिज्ञासा बढ़ गई और वह तुरंत, उनसे पूछते हैं, “ऐसी कौन सी बातें हैं जिसने, आपका जीवन बदल दिया| क्या आप मुझे वह बता सकते हैं?” उन्होंने मुस्कुराते हुए कहा, “हाँ हाँ ज़रूर क्यों नहीं| आपको यह समझना होगा कि, आपका बेटा नशे का इस्तेमाल, आनंद पाने के लिए करता है दरअसल, आपका बेटा अपने माध्यम को, मंज़िल समझने लगा है| दुनिया में मौजूद, भोग की कोई भी विषय वस्तु केवल नशा है फिर, भले ही वह खाना, पैसा या कोई भी चीज़ ही क्यों न हों| आपको अपने बेटे को, किसी सार्थक कर्म में समर्पित करना होगा|” गौतम के पिता को, उनकी बात समझ में नहीं आती इसलिए, वह उनसे सीधे तौर पर कहते हैं, “मेरे बेटे के लिए कौनसा काम सही रहेगा जिससे, उसका जीवन बदल सकें?” उन्होंने उत्तर देते हुए कहा, “यह तो उसी को तय करना चाहिए| आप अपने विचारों से, उसके मन को नहीं चला सकते| आपको अपने बेटे के विचारों को, धीरे धीरे बदलना होगा| इसके लिए उसे, ऐसे केंद्र में भर्ती करवाइए जहाँ, उसे जीवन की अच्छी शिक्षा दी जा सके क्योंकि, किसी भी व्यक्ति का शरीर, उसके विचारों से ही संचालित होता है और अच्छे विचार प्राप्त करने के, कई माध्यम है जिन्हें, आपका बेटा चुन सकता है| तभी आप अपने बेटे को नशे से बाहर निकाल सकोगे| बस फिर क्या था, गौतम के पिता ने अपने बेटे के लिए, एक आध्यात्मिक केंद्र चुना जहाँ, गौतम को मनुष्य के जीवन का महत्व पता चला|
अपेक्षा के अनुसार धीरे धीरे, गौतम ठीक होने लगा| कुछ ही महीनों में गौतम इतना बदल गया कि, उसे पहचान पाना मुश्किल था| गौतम के माता पिता, अपने बेटे के नए रूप को देख दंग रह गए| गौतम के पिता ने, मन ही मन उस व्यक्ति को धन्यवाद दिया, जिसकी सलाह ने गौतम का जीवन बदल दिया था| नशे से बाहर आते ही, गौतम ऊर्जावान हो चुका था और अब वह तैयार था, ज़िंदगी की नई शुरुआत के लिए और इसी के साथ कहानी ख़त्म हो जाती है|